ब्यूरो रिपोर्ट न्यूज़ अड्डा, ६ अगस्त :
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी इसरो द्वारा विकसित चंद्रयान 3 लक्ष्य के करीब है। शनिवार की शाम को वह धरती के क्षेत्र को पार कर चंद्रमा की ‘भूमि’ में प्रवेश कर गया। चंद्रयान ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को भी खुशखबरी का संदेश भेजा। चंद्रयान चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति को महसूस करने में सक्षम है।
चंद्रयान III को 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। तब से अब तक के सफर का हर पड़ाव उन्होंने सफलतापूर्वक पूरा किया है। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती इसे चांद पर सुरक्षित उतारना है. इसके लिए सबसे पहले अंतरिक्ष यान की गति को चरण दर चरण कम किया जाएगा। इसे लूनर बाउंड मैन्युवर नंबर या एलबीएन कहा जाता है। इसके बाद लैंडर मॉड्यूल का काम शुरू होगा. सबसे पहली चीज़ जो उसे चाहिए थी ,वह थी चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करना। भारत के अंतरिक्ष यान ने बहुप्रतीक्षित कार्य को सफलतापूर्वक पूरा किया।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह चंद्रमा से 30 किमी ऊपर से 20 मिनट तक धीरे-धीरे नीचे उतरेगा। जमीन छूने के बाद लैंडर का दरवाजा खुलेगा. पिछली बार इसी चरण में समस्या उत्पन्न हुई थी। जिसके लिए इसरो वैज्ञानिकों ने दिन-रात मेहनत की। अगर सब कुछ ठीक रहा तो चंद्रयान का तीसरा सौर ऊर्जा चालित लैंडर विक्रम 23 या 24 अगस्त तक चंद्रमा पर उतर जाएगा।
- इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन चंद्रमा पर उतरने में सफल हो चुके हैं। चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना है। यदि यह सफलतापूर्वक पूरा हो गया तो भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान एक नये आयाम पर पहुंचेगा।