ब्यूरो रिपोर्ट न्यूज़ अड्डा, १ अक्टूबर : बंगाल में मोहल्ले के क्लबों को अब ‘बुनियादी ढांचागत विकास’ के लिए कोई सरकारी फंड नहीं मिलेगा। ममता सरकार ने यह फैसला लिया है। नवान्ना सूत्रों के मुताबिक, कई क्लबों ने पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा दिए गए रुपये का उचित हिसाब-किताब जमा नहीं दिया है। इसी लिए ममता सरकार ने यह निर्णय लिया है। अनुदान रोके जाने की यह खबर सामने आने से एक दिन पहले ही कलकत्ता हाई कोर्ट की एक न्यायाधीश ने राज्य सरकार द्वारा दुर्गा पूजा समितियों को दिए जाने वाले अनुदान को लेकर क्षोभ जताया था। न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने शुक्रवार को तमलुक में एक पूजा समिति द्वारा दायर मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि मैंने ऐसे कई मामले सुने हैं जहां लोगों को वेतन, नौकरी, पेंशन नहीं मिल रही है और पूजा समिति को पैसा दिया जा रहा है। लेकिन नवान्ना के सूत्रों का कहना है कि जज की इस टिप्पणी का क्लब के पैसे रोकने के सरकार के फैसले से कोई लेना-देना नहीं है।
2011 में सत्ता में आने के एक साल बाद, मुख्यमंत्री ममता ने मोहल्लों क्लबों के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए वित्तीय अनुदान की घोषणा की थी। चयनित क्लबों को पहले वर्ष में एकमुश्त दो-दो लाख रुपये और अगले तीन वर्षों तक एक-एक लाख रुपये, कुल मिलाकर पांच-पांच लाख रुपये दिए थे। हालांकि, कोरोना महामारी के कारण, योजना के लिए धन का वितरण 2020 से रोक दिया गया था। हाल ही में यह निर्णय लिया गया है कि यह अनुदान अब नहीं दिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक पहले साल में 781 क्लबों को 50 करोड़ का अनुदान मिला था। इसकी शुरुआत के बाद से ही वित्तीय योगदान पर विपक्षी दलों ने वोट खरीदने की बात कह कर हमला किया था। तत्कालीन विपक्षी नेता सूर्यकांत मिश्र ने इस योजना की कड़ी आलोचना की थी।