सिलीगुड़ी,27 जून (नि.सं.)।बांकुड़ा के ओंदा में मालगाड़ी दुर्घटना मामले में रेलवे ने सख्त कार्रवाई की है. लोको पायलट, सहायक लोको पायलट और दो सीएलआई या मुख्य लोको निरीक्षकों को निलंबित कर दिया गया है।
रेलवे ने ओंडा में मालगाड़ी दुर्घटना पर लोको पायलट, सहायक लोको पायलट और दो मुख्य लोको निरीक्षकों को निलंबित कर दिया है।
मुख्य लोको निरीक्षकों के निलंबन के बाद सवाल उठने लगे हैं क्या चालक प्रशिक्षण में लापरवाही बरती गई?
हादसा रविवार सुबह 4:05 बजे हुआ. रेलवे सूत्रों के अनुसार बांकुड़ा की ओर से आ रही एक अन्य मालगाड़ी लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी के पिछले हिस्से से टकरा गयी थी. पीछे वाले वैगन का इंजन खड़े वैगन पर चढ़ गया था। दोनों ट्रेनों के 6 डिब्बे पटरी से उतर गए.
दक्षिण पूर्व रेलवे सूत्रों के मुताबिक, हादसा ड्राइवर की लापरवाही के कारण हुआ. पहले रेलवे की ओर से भी यह आशंका जताई गई थी. हादसे के उसी दिन आद्रा डिवीजन के डीआरएम मनीष कुमार ने कहा, ‘सिग्नल लाल था. इस बात की जांच की जा रही है कि ड्राइवर को नींद आ गई थी या नहीं.
हालाँकि, लोको पायलट और सहायक लोको पायलट के साथ दो मुख्य लोको निरीक्षकों का निलंबन व्यावहारिक रूप से सवाल खड़े कर रहे हैं है। ट्रेन चालकों को सीएलआई या मुख्य लोको निरीक्षक द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है। हाल में किसी रेल दुर्घटना में उन्हें निलंबित किये जाने का कोई उदाहरण नहीं है. तो क्या ट्रेन ड्राइविंग ट्रेनिंग में कोई लापरवाही हुई? अब ये सवाल उठ रहा है. रविवार की दुर्घटना ने 2 जून की करमंडल एक्सप्रेस दुर्घटना की यादें ताजा कर दीं। उस हादसे की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है, लेकिन अभी तक किसी को निलंबित नहीं किया गया है.
कुछ दिन पहले ओडिशा के बालेश्वर में हुए करमंडल एक्सप्रेस हादसे के जख्म आज भी ताजा हैं. लगभग 300 यात्रियों की मृत्यु हो गई थी। एक हजार से ज्यादा पैसेंजर घायल हुए थे। ट्रेन लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी। हादसे की जांच अब सीबीआई कर रही है. इस बात को लेकर काफी बहस हो रही है कि मेन लाइन सिग्नल के बावजूद करमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन में कैसे घुस गई. यही हाल बांकुरा के ओंडा में भी लगभग यही हुआ. माल ढुलाई के मामले में भले ही जान का नुकसान नहीं हुआ हो, लेकिन रेलवे संपत्ति को नुकसान हुआ है. जो सवाल खड़ा करता है.