ब्यूरो रिपोर्ट न्यूज़ अड्डा, २ जुलाई :
राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायतों में फोर्स की तैनाती को लेकर शनिवार को एडीजी लॉ एंड ऑर्डर, डीजी और मुख्य सचिव के साथ बैठक की. उस बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य पुलिस 65 हजार होगी. 15 हजार होंगी कोलकाता पुलिस यानी राज्य कुल 80,000 पुलिस मुहैया कराएगा जायेगा.
कोलकाता पुलिस के पास कुल 20 हजार जवान है. अब कोलकाता पुलिस इनमें से अधिकतम 15,000 ही उपलब्ध करा सकती है. राज्य कुल 80,000 बल दे रहा है, यानी राज्य की ओर से पंचायत चुनाव में 800 कंपनियां हैं. उधर, सेंट्रल फोर्स ने 337 कंपनियां भेजी हैं. यानी कुल बलों की संख्या 1,137 है।
पंचायत चुनाव केंद्रीय बलों द्वारा कराया जाना चाहिए. सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्देश है. उस निर्देश के बाद राज्य में अर्ध सैनिक बल की कंपनियां आ गयी। लेकिन बूथ पर केंद्रीय बल रहेगा या नहीं, इस पर आयोग ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है. राज्य चुनाव आयोग के बयान को लेकर असमंजस की स्थिति है.
राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा ने कहा कि अभी जो फोर्स आयी है, वह कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाये रखने के लिये आयी है. मतदान के दिन के लिए नहीं. मतदान के दिन क्या किया जाएगा, बलों की भूमिका क्या होगी, यह चुनाव से 3 से 4 दिन पहले तय किया जाएगा. कहने की जरूरत नहीं कि आयोग के इस बयान के बाद सवाल उठने लगे. बहरहाल, राज्य निर्वाचन आयोग हाईकोर्ट के आदेश पर मुहर लगाने जा रहा है?
क्या आयोग विपक्ष की मांगों को विफल करने जा रहा है?
आयोग शुरुआत में 22 कंपनी फोर्स चाहता था। लेकिन कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि 2018 की तुलना में अधिक और पर्याप्त फोर्स रखी जाये. आयोग की केंद्रीय बलों की 800 कंपनियों की मांग को देखते हुए केंद्र ने शुरुआत में बलों की 315 कंपनियां भेजीं। फिर आयोग ने एक पत्र भेजकर अन्य 465 कंपनियों की मांग की। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अभी तक इस 465 कंपनी फोर्स के बारे में कोई घोषणा नहीं की है.
अब ज्यादातर फोर्स मुर्शिदाबाद में तैनात हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय 11 जिलों में सीआरपीएफ, 6 जिलों में सीआईएसएफ, 9 जिलों में बीएसएफ भेज रहा है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक पत्र लिखकर आयोग को इसकी जानकारी दी. दो राज्यों से राज्य सशस्त्र पुलिस की 10 कंपनियां मतदान के लिए बंगाल आ रही हैं।
अब देखते हैं कि राज्य चुनाव आयोग चुनाव के दौरान केंद्रीय बलों का उपयोग कैसे करता है।